यह दोष किसी क्रिस्टल में धनायन तथा ऋणायन के समान संख्या में अपने स्थानों से लुप्त होने के कारण निर्मित रिक्त स्थानों के कारण होता है जो शॉट्की दोष कहलाता है।
इस प्रकार के दोष के उत्पन्न होने के लिए यह आवश्यक है, कि यौगिक उच्च आयनिक हो, उसकी समन्वय संख्या उच्च हो एवं धनायनों व ऋणायनों का आकार लगभग समान हो।
उदाहरण-NaCl, KCl, C;Cl, KBr आदि।