विषय के आधार पर निबंध के निम्नलिखित प्रकार है
1. विचारात्मक निबंध समाज, साहित्य, राजनीति, धर्म, दर्शन आदि विषयों पर चिंतन-मनन के पश्चात जब निबंधकार समाज को अपने विचार प्रेषित कर एक नवीन दिशा प्रदान करने का प्रयत्न करता है तब ऐसे निबंध विचारात्मक निबंध कहलाते हैं।
इन निबंधों में लेखक शुद्ध गठी हुई भाषा में अपने विचार रखता है। गंभीर से गंभीर विषयों पर भी रोचक, संक्षिप्त व प्रभावशाली रूप से अपने विचारों को संप्रेषित कर पाना ही विचारात्मक निबंधों का चरम उत्कर्ष है।
2. भावात्मक निबंध इस प्रकार के निबंधों में निबंधकार अपनी अनुभूतियों को क्रमबद्ध व व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करता है। किसी भी विषय पर अनुभूतियाँ जितनी प्रखर, मर्मस्पर्शी व प्रभावी होंगी, निबंध उतना ही प्रभावशाली, रोचक व हृदयग्राही बन पाएगा।
आत्मनिवेदन का पाठक के हृदय को स्पर्श कर पाए, यही भावात्मक निबंधों की सफलता है। इस प्रकार के निबंधों में कल्पना का भी विशेष स्थान है। प्रतीकात्मकता तथा व्यंग्य पुट भी भावात्मक निबंधों को रोचक व मर्मस्पर्शी बना देता है।
3. वर्णनात्मक निबंध किसी प्राकृतिक दृश्य, पर्यटक स्थल, मेला, घटना, वस्तु आदि का सजीव रोचक वर्णन वर्णनात्मक निबंध की कोटि में आता है।
इस प्रकार के निबंधों में वास्तविकता व काल्पनिकता का संतुलित और प्रभावशाली मिश्रण तैयार कर अनुभूतियों को सजीव रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इन निबंधों में चिंतन का बाहुल्य नहीं रहता। निबंधकार के मौलिक विचारों के लिए भी इनमें स्थान दुर्लभ रहता है।
इन निबंधों में निबंधकार सरल व धारा प्रवाह रूप में विषय का सजीव, रोचक व वास्तविक वर्णन प्रस्तुत करता है। विषयवस्तु सरल व सुपरिचित होने के कारण सुग्राह्य होती है।
4. विवरणात्मक निबंध इन निबंधों में पौराणिक व ऐतिहासिक संस्मरणों, काल्पनिक घटनाओं आदि की प्रधानता रहती है। निबंधकार घटनाओं को श्रृंखलाबद्ध कर रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है।
इन्हें प्रस्तुत करने में लेखक को विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है जिससे विषयवस्तु में लेखक की आत्मीयता व आत्माभिव्यंजना का पुट परोक्ष रूप से समाहित होता जाए। इस प्रकार के निबंधों में विषय व शिल्प दोनों की विशेष उपयोगिता रहती है।