वराहमिहिर पांचवी-छठवी शताब्दी के एक प्रसिद्द भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
उन्होंने सूर्य, चंद्र और ब्रह्मांडीय पिंडों की गति के सिद्धांत की खोज की थी ।
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समकालिक थे तथा उनके नवरत्नों में से एक थे।
वराहमिहिर का जन्म सन् 499 में हुआ था। ये उज्जैन के पास कपित्थ नामक गाँव के निवासी थे |
महान खगोलज्ञ और गणितज्ञ आर्यभट से मिलकर ये इतने प्रभावित हुए कि ज्योतिष विद्या और खगोल ज्ञान को ही इन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया।
आर्यभट की तरह इन्होंने भी बताया कि पृथ्वी गोल है।
विज्ञान के इतिहास में ये प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि कोई ऐसी शक्ति है जो चीजों को जमीन से चिपकाए रहती है। आज इसी शक्ति को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।
वराहमिहिर ने पर्यावरण विज्ञान, जलविज्ञान, भूविज्ञान आदि के बारे में भी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की थीं।
उनकी प्रमुख रचना पंचसिद्धान्तिका, बृहज्जातकम्, लघुजातक, बृहत्संहिता, रोमाका सिद्धांत आदि है |
इन्होने कुछ त्रिकोणमितीय सूत्र –
sin x = cos (π /2-x)
sin2x + cos2x = 1,
तथा (1 – cos2x)/2 = sinx
आदि की की खोज की थी |