लार में मुख्यतः दो प्रकार के एन्जाइम पाये जाते हैं- 1. टायलिन (Ptaylin) 2. लाइसोजाइम (Lysozyme)
टायलिन को एमाइलेज के नाम से भी जाना जाता है। जो भोजन में उपस्थित मंड (स्टार्च) को माल्टोज शर्करा में अपघटित करता है।
लाइसोजाइम नामक एन्जाइम भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने का काम करता है।
मनुष्य के लार में लगभग 99% जल तथा शेष 1% एन्जाइम होता हैं
मुखगुहा में स्थित लार ग्रन्थियों से निकलने वाले रस को लार कहते हैं। लार भी एक पाचक रस है।
लार में टायलिन नामक खमीर या किण्व पाया जाता है। लार आहार में विद्यमान कार्बोहाइड्रेट के पाचन में योगदान देता है।
टायलिन नामक खमीर के प्रभाव से आहार से विद्यमान श्वेतसार जो कि अपाच्य होता है,
अंगूरी शर्करा में परिवर्तित हो जाता है जो कि एक सुपाच्य तत्व होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि आहार के कार्बोहाइड्रेट के पाचन मेंलार-रस का उल्लेखनीय योगदान होता है।