लक्ष्मण परशुराम के क्रोधी स्वभाव पर व्यंग्य करते हुए उनके शील स्वभाव के विश्व प्रसिद्ध होने की बात कहते हैं।
वे परशुराम पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि आपके शील स्वभाव से संपूर्ण विश्व परिचित है।
शीलवान व्यक्ति का चित्त शांत होता है, वह क्रोध नहीं करता। इस प्रकार यदि परशुराम स्वयं को शीलवान समझते हैं, तो यह अत्यंत ही हास्यास्पद है।
मुनिवर स्वयं को महान योद्धा मान रहे हैं।
वे मुझे अपना फ़रसा दिखाकर ही डराना चाहते हैं। लक्ष्मण ऐसा कहकर परशुराम की वीरता पर व्यंग्य कर रहे हैं।