रासो काव्य की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार थीं –
(क) ‘रासो’ चरित्र प्रधान काव्य था।
(ख) इसका मुख्य रस ‘वीररस’ था।
(ग) ये ग्रंथ अपभ्रंश या पुरानी हिन्दी में लिखे गए थे।
(घ) इनकी कथाओं में इतिहास और कल्पना का अद्भुत समन्वय मिलता है।
(च) इन ग्रन्थों में तत्कालीन समाज और संस्कृति का अच्छा निरूपण मिलता है।