मौर्य काल में गुप्तचर को “गूढ पुरुष” कहा जाता था |
मौर्य काल में गुप्तचरों का महत्वपूर्ण स्थान था ।
गुप्तचर विभाग का प्रधान अधिकारी सर्वमहामात्य कहलाता था।
मौर्य शासन में दो तरह के गुप्तचर कार्य करते थे:
(1) संस्था- ये गुप्तचर संस्थाओं में संगठित होकर एक ही स्थान पर रुककर कार्य करते थे।
ये पाँच प्रकार के थे:
* उदास्थित (संन्यासी वेश)
* कापटिक (छात्र वेश)
* तापस (तपस्वी वेश)
* गृहपतिक (किसान वेश)
* वैदेहिक (व्यापारी वेश)
(2) संचार- ये गुप्तचर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए कार्य करते थे।
* कुछ ऐसे गुप्तचर होते थे जो अन्य देशों में नौकरी कर लेते थे और सूचनाएं भेजते थे। ऐसे गुप्तचरों को “उभयवेतन” कहा जाता था।
* गुप्तचरों के अतिरिक्त शांति व्यवस्था बनाये रखने तथा अपराधों की रोकथाम हेतु पुलिस भी होती थी जिसे “रक्षिन” कहा जाता था।