मोहन की स्कूली शिक्षा बहुत सामान्य स्तर की हुई। उसे बहुत ही मामूली-से स्कूल में पढ़ाया गया।
आठवीं पास करने के बाद ही उसे छोटे-मोटे तकनीकी स्कूल में डाल दिया गया।
उसकी पढ़ाई वस्तुतः दिखावटी थी। न तो उसे पढ़ने के लिए समय दिया गया और न उस पर धन और ध्यान लगाया गया।