यूरोप में भुमिधारक अभिजात वर्ग के घर को मेनर कहा जाता था |
9 वीं और 16वीं सदी के मध्य यूरोप में तीन सामाजिक श्रेणियाँ – ईसाई पादरी , भुमिधारक अभिजात वर्ग तथा कृषक वर्ग थी |
इनमें से अभिजात वर्ग की एक विशेष हैसियत थी |
उनका अपनी संपदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियंत्राण था।
वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकते थे |
वे अपना स्वयं का न्यायालय लगा सकते थे और यहाँ तक कि अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे।
वे अपनी भूमि पर बसे सभी व्यक्तियों के मालिक थे।
वे विस्तृत क्षेत्रों के स्वामी थे जिसमें उनके घर, उनके निजी खेत, चरागाह और उनके कृषको के खेत तथा घर होते थे |
उनके इसी घर को “मेनर” कहा जाता था |