मृदा का वायु तथा जल द्वारा, बहा कर ले जाया जाना मृदा अपरदन कहलाता है |
हजारों लाख टन की मृदा प्रतिवर्ष मृदा अपरदन से बह जाती है |
मृदा अपरदन का सबसे महत्वपूर्ण कारक –
1) जलवायु – जलवायु जैसे- वर्षा , तापमान, वायु आदि मृदा अपरदन के कारण है |
2) वन – पौधे की जड़ें मिटटी को बांध कर रखती है , इसलिए वनों की कटाई मृदा अपरदन का एक प्रमुख कारक है
3) अस्थाई कृषि – अभी भी बहुत से स्थानों में अस्थाई कृषि की जाती है जिसके कारण वनों की कटाई निरंतर बनी रहती है जो की मृदा अपरदन में एक महत्वपूर्ण कारक है |
4) ढाल युक्त भूमि – ऐसे स्थान जहाँ पर ढाल भूमि है वहाँ मृदा का अधिक अपरदन होता है |
5) मानवीय कारक – मानव द्वारा किये जाने वाले प्राकृतिक दोहन भी मृदा अपरदन का एक प्रमुख है | मानव निरंतर पेड़ो की कटाई कर रहा है , खनिजो के के लिए जमीन की खुदाई कर है जो की मृदा अपरदन का एक प्रमुख कारक है |
6) अत्यधिक पशुचारण – ऐसे स्थान जहाँ जहाँ पशुओं की संख्या अधिक है किया जाता है वहाँ अत्यधिक पशुचारण के कारण मृदा अपरदन होता है |
मृदा अपरदन को रोकने के उपाय –
1) आवश्यकता के अनुसार ही वनों की कटाई करना चाहिए तथा तथा आवश्यकताओं के लिए वृक्षारोपण कर पहले से वृक्ष तैयार रखना |
2) स्थाई कृषि करना
3) अत्यधिक पशुचारण को रोकना
4) बाढ़ को रोकने के लिए बांध बनाकर
मृदा अपरदन के दुष्प्रभाव –
1) मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी आ जाती है जिसे कृषि में उत्पादन में कमी आती है |
2) विनाशकारी बाढ़ भी मृदा अपरदन का एक दुष्प्रभाव है |
3) नदी तथा तालाबो के तल में गाद का जमा होना भी मृदा अपरदन के दुष्प्रभाव है |