अलैंगिक प्रजनन की इस विधि में जीव के शरीर पर एक छोटा-सा उभार बनता है जो धीर-धीरे बड़ा हो जाता है। इसे मुकुलन कहते हैं।
विकास के समय कलिका (Bud) अपने मातृ शरीर (Parent body) से भोजन व अन्य आवश्यक पदार्थ ग्रहण करतीहै।
वयस्क होने पर यह मातृ शरीर से अलग हो जाती है और स्वतंत्र जीवन व्यतीत करती है।
मातृ शरीर उसी प्रकार का बना रहता है संतति निर्मित होकर वह अपना स्वतन्त्र जीवन प्रारम्भ कर देती है।
जैसे-हाइड्रा।