मानव भूगोल की परिभाषा :-
मानव भूगोल प्राकृतिक जगत तथा मानवीय जगत के मध्य स्थापित परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन करता है।
साथ ही इसमें मानवीय क्रियाकलापों के स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने से विश्व के विभिन्न भागों में उत्पन्न सामाजिक व आर्थिक भिन्नताओं का अध्ययन भी किया जाता है।
चूँकि भूगोल का प्रमुख उद्देश्य पृथ्वी को मानव के घर के रूप में समझना है तथा प्राकृतिक वातावरण के उन सभी तत्वों का भी अध्ययन करना है जिन्होंने मानव के पोषण तथा विकास में सहायता प्रदान की है।
इस दृष्टिकोण से धरातल पर प्राकृतिक वातावरण (प्रकृति) तथा मानव के सम्बन्धों का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है।
मानव भूगोल के जनक जर्मन भूगोलवेत्ता फ्रेडरिक रैटजेल थे |
फ्रेडरिक रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा :-
“मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बद्ध हैं जो भौतिक दशाओं का योग होते हैं”
उन्होंने यह भी लिखा कि “मानव भूगोल मानव समाजों तथा धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है”
फ्रेडरिक रैटजेल के शिष्या तथा अमेरिकन भूगोलवेत्ता ऐलन सेम्पल के अनुसार :-
“मानव भूगोल क्रियाशील मानव तथा अस्थायी पृथ्वी के परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
फ्रांस के विद्वान वाइडल डी ला ब्लाश के अनुसार :-
पृथ्वी एवं मनुष्य के बीच पारस्परिक संबंधों को एक नई समझ देता है, जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक संबंधों का अधिक संयुक्त ज्ञान समाविष्ट होता है |
अमेरिका के भूगोलवेत्ता एल्सवर्थ हंटिंग्टन के अनुसार :-
“मानव भूगोल में, भौगोलिक वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं और गुणों के पारस्परिक संबंधों के वितरण और स्वरूप का अध्ययन होता है”
व्हाईट तथा रैनर के अनुसार भूगोल की परिभाषा :-
“भूगोल मुख्यतः मानव पारिस्थितिकी है, जिसमें पृथ्वी की पृष्ठभूमि से मानव समाजों का अध्ययन होता है”