माँग का नियम वस्तु की कीमत और उस कीमत पर माँगी जाने वाली मात्रा के गुणात्मक (Qualitative) सम्बन्ध को बताता है।
उपभोक्ता अपनी मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति के अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में ऊँची कीमत पर वस्तु की कम मात्रा खरीदता है और कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा। उपभोक्ता की इसी मनोवैज्ञानिक उपभोग प्रवृत्ति पर माँग का नियम आधारित है।
माँग का नियम यह बताता है कि ‘अन्य बातों के समान रहने पर’ (Other things being equal) वस्तु की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत सम्बन्ध (Inverse relationship) पाया जाता है।
दूसरे शब्दों में, अन्य बातों के समान रहने की दशा में किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी हो जाती है तथा इसके विपरीत कीमत में कमी होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है।

स्पष्ट है कि स्थिर दशाओं में वस्तु की कीमत और वस्तु की माँग में एक विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है,
अर्थात् P=1/Q
जहाँ P= वस्तु की कीमत तथा Q= वस्तु की मांगे जाने वाली मात्रा
‘अन्य बातों के समान रहने पर’ का मतलब :-
माँग के नियम की क्रियाशीलता कुछ मान्यताओं पर आधारित है। दूसरे शब्दों में, निम्नलिखित मान्यताओं के अन्तर्गत ही माँग का नियम क्रियाशील होता है
1. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
2. उपभोक्ता की रुचि, स्वभाव, पसन्द आदि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए ।
3. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
4. किसी नवीन स्थानापन्न वस्तु का उपभोक्ता को ज्ञान नहीं होना चाहिए |
5. भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होनी चाहिए |