मनु महाराज ने धर्म के दस लक्षण बताए हैं |
धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, आन्तरिक और बाहरी शुद्धि, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना-ये धर्म के दस लक्षण हैं।
धर्म के इन दस लक्षणों पर विचार करने पर स्पष्ट हो जाता है कि धर्म का अर्थ कितना व्यापक और विस्तृत हैं।
प्रत्येक क्रिया और कर्म जो भी मनुष्य को ऊँचा उठाते हैं, धर्म में सम्मिलित हैं।
धर्म के इन लक्षणों में कोई भी ऐसा नहीं है जिससे कि रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास और व्यर्थ के कर्मकांडों के करने की गन्ध आती हो।
धर्म के लक्षण मनुष्य को पशु से अलग करते हैं। मनुष्य के पास विचार-शक्ति है जिसके प्रयोग द्वारा वह इन लक्षणों को अपने जीवन में उतार सकता है और अपने जीवन को सबल और उन्नत बना सकता है।
मनु ने ‘मनुस्मृति’ में धर्म के दस लक्षण निम्न श्लोक के माध्यम से बताए हैं :-
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीविद्या सत्यमक्रोधों दशकं धर्मलक्षणम्।।