बल का एस आई (S.I.) मात्रक न्यूटन (newton) है। इसे संकेत N से प्रदर्शित करते हैं ।
बल एक सदिश राशि है, क्योंकि यह परिमाण एवं दिशा दोनों दर्शाता है ।
इसके आलावा C.G.S. पद्धति में बल का मात्रक डाइन(Dyne) तथा F.P.S. पद्धति में बल का मात्रक पाउण्डल(Poundel) है।
दैनिक जीवन में हमें बल के मुख्यतः निम्न प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं
(i) बल स्थिर वस्तु को गत्यावस्था में ला देता है या लाने का प्रयास करता है।
(ii) बल वस्तु की गत्यावस्था में परिवर्तन कर देता है या परिवर्तन करने का प्रयास करता है।
(iii) बल वस्तु के आकार या आकृति में परिवर्तन कर देता है या परिवर्तन करने का प्रयास करता है। बल से वस्तु की चाल बदली जा सकती है।
अतः बल को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है :-
“बल वह बाह्य कारक (external agent) है, जो किसी वस्तु की विरामावस्था, गत्यावस्था , या आकृति में परिवर्तन कर देता है अथवा परिवर्तन करने का प्रयास करता है।” अर्थात् “बल वह धळेल खिंचाव है जो किसी वस्तु में गति उत्पन्न करता है।