प्रवाल या मूंगा सागरीय जीव होते हैं जो अन्तःसागरीय चबूतरों पर उष्णकटिबंधीय सागरों में विकसित होते हैं।
प्रवाल का मुख्य भोजन चूना होता है जो शैवालों (algae) से ये प्राप्त करते हैं।
प्रवाल अपने चारों ओर चूने की खोल बनाते हैं तथा एक साथ असंख्य प्रवाल समूह में रहते हैं।
जब मूंगा (प्रवाल) मर जाते हैं तो नये प्रवाल उसके ऊपर अपने आवास बनाते हैं।
प्रवालों में प्रजातिगत विविधता पायी जाती है तथा साथ ही छोटे समुद्री जीव और मछलियाँ भी यहाँ आश्रय प्राप्त करती हैं।
प्रवाल एक संतुलित तापमान वाले जलीय भाग तथा संतुलित लवणता व जल में उचित विकास करते हैं।
कभी-कभी जब प्रवालों के विकास क्षेत्र में तापमान या लवणता में असंतुलन होता है तो ये नष्ट होने लगते हैं।
प्रवालों के लिये 20°-21° (से ग्रे.) तापमान तथा 27% से 30% की लवणता आदर्श मानी जाती है।
जब इस आदर्श अवस्था में परिवर्तन होता है। तो इससे इनके विकास पर प्रभाव पड़ता है।
अर्थात् तापमान में अत्यधिक कमी या वृद्धि तथा लवणता में कमी या वृद्धि की स्थिति में प्रवाल मरने लगते हैं।