पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण दिन-रात होते हैं |
जैसा की हम जानते है घूर्णन गति में पिंड अपने ही स्थान पर, अपने भीतर से होकर जाती हुई एक निश्चित अक्ष के चारो ओर घूमता है |
ठीक इसी प्रकार पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घुमती है |
पृथ्वी अपने अक्ष पर लगभग 24 घंटे (23घंटे, 56मिनट, 4.09सेकंड) में एक चक्कर पूर्ण कर लेती है |
इसलिए जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूम रही होती है तब पृथ्वी का वह हिस्सा जहाँ सूर्य की रोशनी पड़ रही होती है वहाँ पर दिन तथा वह हिस्सा जहाँ सूर्य की रोशनी नहीं पहुचती वहाँ पर रात होता है |
इसी प्रकार जहाँ सूर्य की रोशनी तेज होती है वह दोपहर तथा कम होती है वहाँ सूर्य उदय पर सुबह व सूर्य अस्त होने पर शाम होती है |
दिन और रात का छोटा या बड़ा होना –
पृथ्वी ऊपरी धुरी पर 23½ अपने अक्ष पर झुकी हुई है।
यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई न होती तो पृथ्वी पर सर्वत्र दिन-रात बराबर होते।
पृथ्वी अपने अक्ष में घुमने के साथ साथ सूर्य के चक्कर भी लगा रही है| जिसे परिक्रमण भी कहा जाता है |
परिक्रमण के कारण जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य के सम्मुख होता है तो दिन बड़े व रातें छोटी होती हैं। इसी समय दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन छोटे तथा रातें बड़ी होती हैं किन्तु जब दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य के सामने होता है तो वहाँ दिन बड़े व रातें छोटी होती हैं तथा उत्तरी गोलार्द्ध में स्थिति विपरीत अर्थात् दिन छोटे व रातें बड़ी होती हैं।