नारियल का रेशा स्कलेरेन्काइमा ऊतक का बना होता है।
स्कलेरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाएँ मृत होती हैं।
इस ऊतक की भित्ति लिग्निन के कारण मोटी होती हैं।
यह पौधों के भागों को मजबूती प्रदान करता है।
नारियल का बाहरी रेशा जिसे जटा भी कहते हैं, रस्सी, थैले, पायदान, चटाई, गद्दे बनाने के काम आता है।
इसे ‘कॉयर’ कहते हैं।
समुद्र के खारे पानी में भी यह गलता नहीं है।
इसीलिए जहाज के लिए इसके रस्सों का बहुत उपयोग होता है।
लक्षद्वीप, केरल, गोवा आदि प्रदेशों में इसी का बहुत बड़ा उद्योग है।