“नहीं रुकती है नदी” पाठ में लेखक समझाते है की जिस तरह कि नदी थमती नहीं है, हमेशा गति में निरतंर छाती रहती है चाहे।
रास्ते में कोई बाधा आती है, उसको पार बिना रुके पार करती है। नदी की तरह मनुष्य को सतत प्रयास करना चाहिए और आगे बढ़ना चाइए।
जीवन का लक्ष्य को कभी भूलना चाहिए।
लेखक बताते है कि सही दिशा में महेनत करेंगे तो सारे रास्ते खुल जाएंगे हमेशा अपने कार्य और विशवास एवं निति नहीं खोनी चाहिए।
आत्म विश्वास जीवन की पूंजी है।
अगर इस दिशा में लोग महेनत करेंगे तो सफलता के बादल चूमेंगे। जब भी ज़िन्दगी की बल खाती राह के बारे में सोचा , हर बार एक नदी का ख्याल आया ! कई बार लगा कि हर मोड़ पे मंज़र बदल जाना , नए नए मोड़ आना , रुक जाना फिर चल पड़ना , बिलकुल एक नदी की तरह ! कभी तेज़ बहाव , कभी ठहराव ,