धर्म के अनुसार योग्य मुसलमान को जकात देना अनिवार्य है।
जकात क्या है?
- पूरे साल में होने वाली कमाई का डेढ़ प्रतिशत किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाता है, जिसे जकात कहा जाता हैं।
- अगर किसी मुसलमान के पास सारा खर्चा करने के बाद १०० रुपये बच जाते हैं तो उसे 2.५ रुपये किसी गरीब को देना अनिवार्य है।
- जकात को एक तर्ज़ अथवा टेक्स माना जाता है।
जकात और फितरा में अंतर क्या है?
- जहां हर मुसलमान के लिए जकात जरूरी मानी जाती है, वहीं फितरा जरूरी नहीं माना जाता है।
- ईद-उल-फितर का तोहफा गरीबों, विधवाओं और अनाथों को दिया जाता है ताकि ईद के दिन सबके पास देने के लिए कुछ न कुछ हो।
- फितरा देने का कोई भी तरीके से दे सकते है, यह व्यक्ति अपनी इच्छाओं के आधार पर तय कर सकता है।