छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क का सबसे अधिक उत्पादन दन्तेवाड़ा जिले में में बैलाडीला की पहाड़ी में होता है |
बैलाडीला की पहाड़ी 36 कि.मी. लम्बी और 10 कि.मी. चौडी है।
इस पहाडी में लौह अयस्क के 12 निक्षेप हैं तथा इसके निकट दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मालेंगर नदी की घाटी में 2 और निक्षेप पाये गये है।
इन विस्तृत पहाड़ियों में लौह-अयस्क का संचित भण्डार 1343.5 मिलियन टन है।
यहां का सबसे बड़ा निक्षेप क्र. 5 में है तथा मालगर की घाटी में निक्षेप क्र. 13 और 14 है
घाटी के निक्षेपों तक सरलता से पहुँचा जा सकता है।
यहां की लौह-अयस्क में शद्धता की मात्रा 60% से 70% है।
1962 के पूर्व स्थानीय आदिवासी कारीगरों द्वारा लौह अयस्क उत्खनन का कार्य किया जाता था।
1962 के पश्चात जापान के सहयोग से यंत्रो के माध्यम से बड़े पैमाने पर लौह-अयस्क का उत्खनन कार्य प्रारंभ हुआ।