छत्तीसगढ़ की राजभाषा “छत्तीसगढ़ी” है |
यह छत्तीसगढ़ में बोलचाल के लिए सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली बोली है |
छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राचीनकाल में कोसली कहा जाता था |
छत्तीसगढ़ भाषा का सबसे प्राचीनतम आलेख दंतेवाडा में एक शिलालेख पर उकेरा गया है |
हीरालाल काव्योपाध्याय ने वर्ष 1885 में छत्तीसगढ़ी बोली का प्रथम व्याकरण तैयार किया था | इसलिए उन्हें छत्तीसगढ़ का पाणिनी भी कहा जाता है |
बता दे की छत्तीसगढ़ी बोली का कोई लिपि नहीं है, देवनागरी लिपि में ही छत्तीसगढ़ी को लिखा जाता है |
28 नवंबर 2007 को छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) विधेयक को पारित किया गया था | इसी दिन छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया |
इसलिए प्रत्येक वर्ष 28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है |
11 जुलाई 2008 को छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) अधिनियम राजपत्र में प्रकाशित हुआ |
14 अगस्त 2008 को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन किया गया जिसे प्रत्येक वर्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है |
प्रथम अध्यक्ष – पं. श्यामलाल चतुर्वेदी थे।
प्रथम सचिव – पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे थे |