चित्रकूट में महर्षि वाल्मीकिऔर महर्षि अत्रि का यहां आश्रम था ।
चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा प्राचीन तीर्थस्थल है। चित्रकूट का कुछ भाग उत्तर प्रदेश और कुछ भाग मध्य प्रदेश में फैला है।
इस प्राचीन तीर्थ का वर्णन महाभारत, रामायण और विभिन्न पुराणों में भी मिलता है।
यह आरंभ से ही तपोभूमि रहा है। महर्षि अत्रि का यहां आश्रम था। चित्रकूट में मंदाकिनी नदी बहती है जिसे पयस्विनी भी कहते हैं ।
वनवास के समय श्रीराम यहां ठहरे थे। मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि भी यहां रहे थे। चित्रकूट में पयस्विनी के किनारे का स्थान सीतापुर कहलाता है।
यहां पर नदी के किनारे 24 घाट हैं। कहते हैं, तुलसीदास को यहीं पर श्रीराम के दर्शन हुए थे। मंदाकिनी या पयस्विनी का उद्गम मंद्राचल पर्वत से होता है।
इस पहाड़ी अंचल में सती अनुसुइया, अत्रि, दत्तात्रेय और हनुमान के मंदिर हैं। काफी ऊंचाई पर-360 सीढ़ियां चढ़ने के बाद हनुमानधारा है।
कामदगिरि की लोग श्रद्धापूर्वक परिक्रमा करते हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे।
जानकी कुंड, स्फटिक शिला और कुछ दूर पर स्थित भरत कूप और गुप्त गोदावरी (दे.) भी लोगों के आकर्षण के केन्द्र हैं।