चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व महात्मा गाँधी किया था।
चम्पारण (बिहार) सत्याग्रह जिसे प्रायः चम्पारण नील आन्दोलन के नाम से भी जाना जाता है का नेतृत्व गांधी जी ने किया था। दक्षिण अफ्रीका से जनवरी, 1915 में लौटने के पश्चात यह गांधी जी द्वारा किया गया पहला सफल सत्याग्रह था।
1917 में चम्पारण के एक किसान नेता राजकुमार शुक्ल ने लखनऊ में गांधी |जी से भेंट की तथा उन्हें चम्पारण आने का आग्रह किया।
चम्पारण में सत्याग्रह प्रारम्भ करने के दो प्रमुख कारण थे – चम्पारण में नील बगान मालिकों द्वारा ‘तकावी ऋण‘ और ‘तिनकठिया व्यवस्था‘| (कृषकों को अपनी जमीन के 3/20वें भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य) के कारण किसानों की स्थिति बहुत दयनीय हो गयी थी।
चम्पारण सत्याग्रह में गांधीजी का साथ ब्रज किशोर, नरहरि पारिख, राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई, जे.बी. कृपलानी ने दिया।
इस सत्याग्रह की सफलता के पश्चात् ही रवीन्द्र नाथ टैगोर ने गांधी जीको पहली बार ‘महात्मा‘ कहा।