कक्षा में अनुशासन की आवश्यकता:– विदयार्थी को बाह्य और आंतरिक दोनों प्रकार के अनुशासन की आवश्यकता होती है।
आंतरिक अनुशासन तो वह घर से सीख कर आता है किंतु बाह्य अनुशासन में वह स्कूल द्वारा बाँधा जाता है।
पंक्ति में खड़े होना, कक्षा में शांत बैठकर पढ़ना, कॉपी-किताब लाना, प्रत्येक घंटे के बाद दूसरा विषय पढ़ना, खेलने जाना, समय पर भोजन करना – बच्चे को बाह्य अनुशासन द्वारा सिखाया जाता है।
आंतरिक अनुशासन के अंतर्गत बड़ों का आदर करना, आदरपूर्वक बोलना, सहपाठियों से मित्रता, अच्छी भाषा का प्रयोग, समय पर कार्य आदि आता है। “अनुशासन परिष्कार की अग्नि है जिससे प्रतिभा योग्यता बन जाती है” – कहावत अक्षरशः ठीक है।