उड़न परी पी.टी. ऊषा को कहा जाता है
पी. टी. ऊषा एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट मानी जाती हैं। यह एक धाविका है। ट्रेक एण्ड फील्ड स्पर्धाओं में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत प्राप्त कर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बनी। इन्हें ‘पायली एक्सप्रेस’ और उड़न परी’ के उपनाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने अपने सक्रिय खेल जीवन में 102 अंतररष्ट्रीय पदक जीते।
पी.टी. उषा – ‘उड़न परी’ के नाम से जानी जानेवाली पी.टी. उषा का जन्म 27 जून, 1964 को केरल (भारत) में हुआ। उन्हें ‘पय्योली एक्सप्रेस’ नामक उपनाम भी दिया गया था।
1982 के एशियाड खेलों में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने के साथ 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया था। यह गौरव पानेवाली वे भारत की पहली महिला धाविका हैं।
पी.टी. उषा की उपलब्धियाँ-
• पी.टी. उषा तीन ओलंपिक में हिस्सा ले चुकी हैं। 1980 में मास्को ओलंपिक में हिस्सा लिया। 16 साल की उम्र में उषा ने 1980 के मास्को ओलंपिक में हिस्सा लिया था।
• पहली महिला एथलीट बनीं, जो ओलंपिक के फाइनल तक पहुंची।
• लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पहली बार महिला एथलेटिक्स में 400 मीटर प्रतिस्पर्धा में बाधा दौड़ जोड़ी गई, जहाँ पी.टी. उषा ने 55.42 सेकंड का एक रिकॉर्ड बना दिया था। जो आज भी बारात का राष्ट्रीय रिकॉर्ड है।
पी.टी. उषा को मिले पुरस्कार-
•एथलेटिक्स के खेल के प्रति उनके प्रयास एवं उत्कृष्ट सेवा, साथ ही राष्ट्र का नाम ऊँचा करने के लिए पी.टी. उषाजी को 1984 में अर्जुन अवार्ड’ दिया गया।
• 1985 में देश के चौथे बड़े सम्मान ‘पद्मश्री’ से उषाजी को सम्मानित किया गया।
• इसके अलावा, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने पी.टी. उषाजी को ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दी सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स वुमेन ऑफ दी मिलेनियम’ का खिताब दिया था।
• 1985 में जकार्ता में हुए ‘एशियन एथलीट मीट’ में उषाजी को उनके बेहतरीन खेल के लिए ‘ग्रेटेस्ट वुमेन एथलीट’ का खिताब दिया गया था।
• बेस्ट एथलीट के लिए पी.टी. उषाजी को सन् 1985 एवं 86 में ‘वर्ल्ड ट्रॉफी’ से सम्मानित किया गया था।