अकाल तख्त (1609 ई.) पाँच तख्तों में सबसे पहला तख्त है।
इसे सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह ने न्याय-सम्बंधी और सांसारिक विषयों पर विचार करने के लिए स्थापित किया था।
इस तख्त पर बैठने वाले जत्थेदार को सिक्खों का सर्वोच्च प्रवक्ता माना जाता है।
अकाल तख्त एक मजबूत पाँच मंजिली इमारत है जो संगमरमर के चबूतरे पर खड़ी है।
इसकी पहली मंजिल सन् 1774 में तैयार हो गई थी और बाकी की चार मंजिलें महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में बनाई गईं।
अकाल तख्त से जारी किए गए हुकमनामे सभी सिखों को कबूल करने पड़ते हैं ।