हिंदी भाषा के विकास में कंप्यूटर के योगदान:-
कम्प्यूटर आज जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। इसका उपयोग जीवन क सभी पहलुओं में चाहे शिक्षा हो, व्यवस्था हो, चिकित्सा का क्षेत्र हो अथवा भाषा हो सब में इसकी पहुँच है। हिन्दी भाषा का पहला कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर 1977 में ई. सी. आई. एल कंपनी, हैदराबाद ने फोर्टान नाम से बाजार में उतारा। इसके दो-तीन वर्ष बाद ही दिल्ली की डी. सी. एम. नामक कंपनी ने ‘सिद्धार्थ’ नाम से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर बाजार में उतारा जिसमें द्विभाषी टाइपिंग की सुविधा उपलब्ध थी। लेकिन ये भी बहुत उपयोगी सिद्ध नहीं हुआ। इसी समय सी.एम.सी नामक कंपनी ने (अंग्रेजी, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं) टाइपिंग हेतु, ‘लिपि’ नामक सॉफ्टवेयर निकाला। इस तरह कई और कंपनियों ने अपने स्तर पर हिन्दी भाषा के सॉफ्टवेयर तैयार किये। साथ ही भारत सरकार के कई मन्त्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों में भी अपने स्तर पर अलग-अलग कंपनियों से अपने दैनिक कार्य को हिन्दी में करने के लिए कई सॉफ्टवेयर और फॉण्ट तैयार कराये, जिनमें अक्षर, आकृति, सुलेख, शब्दस्तान, सूसा, मंगल, श्रुति आदि प्रमुख हैं।
लेकिन हिन्दी भाषा की तकनीकी विकास यात्रा में सबसे बड़ा योगदान भारत सरकार की कंपनी सी-डैक (C-DAC : Centre of Development of Advance Computing), पुणे ने किया। इसने जिस्ट नामक एक कम्प्यूटर कार्ड विकसित किया। जिसको कम्प्यूटर में लगाने से सभी भारतीय भाषाओं के अक्षर कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ जाते थे और इन सबके उपयोग और टाइपिंग के लिए की-बोर्ड की सहायता से इन्हें लिखा जा सकता था। इस चिप की विशेषता यह भी थी कि यह किसी भी बैंकिंग संस्थान अथवा वित्तीय संस्थान के डाटा प्रोसेसिंग का कार्य भी हिन्दी में करने में सक्षम था।
इसके बाद तो देश-विदेश की कई कंपनियों ने शिक्षण, प्रशिक्षण से लेकर अनुवाद आदि तक के लिए कई ऐसे सॉफ्टवेयर तैयार किये जिसकी मदद से हिन्दी को न सिर्फ टाइप किया जा सकता था बल्कि सीखा भी जा सकता था। अब तो गूगल अनुवाद आदि जैसे न जाने कितने ऐसे सॉफ्टवेयर भी आ गये हैं जो किसी भी भाषा का अनुवाद दूसरी अन्य भाषाओं में करने में सक्षम हैं। यद्यपि इसमें पूर्णतः सफलता नहीं मिली है, लेकिन भाषा को लेकर जिस तरह का आकर्षण दुनिया की सभी महत्त्वूपर्ण कंपनियाँ दिखा रही हैं इसको देखते हुए लगता है वो दिन दूर नहीं जब हम अपनी मनपसन्द की भाषा लिखने, बोलने और सुनने में कभी भी, कहीं भी सक्षम होंगे।
वर्तमान में कंप्यूटर और हिंदी भाषा में संबंध:-
1. पिछले कुछ दशक में जिस तरह से तकनीकी विकास हुआ उतना तेजी से हिन्दी भाषा का विकास नहीं हुआ। यदि हुआ भी तो प्रारम्भ से कम्प्यूटर की भाषा अंग्रेजी रही। हिन्दी को कम्प्यूटर से जोड़ने का सबसे पहला प्रयास राजभाषा विभाग, गृह मन्त्रालय द्वारा किया गया। जब उसने हिन्दी में काम करने के लिए ‘शब्दिका’ नामक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया। इसके कुछ समय बाद ‘अनुस्मारक’ नामक सॉफ्टवेयर ईजाद किया गया इसकी विशेषता यह थी कि इसमें अन्य भारतीय भाषाओं के साथ अन्तरण की सुविधा उपलब्ध थी।
2. महज दो दशक पहले तक हिन्दी के पास अपना कोई सॉफ्टवेयर नहीं था इसका निर्माण भारत सरकार की संस्था सी-डैक ने सबसे पहले किया और जिसका नाम ‘लीप’ रखा। कुछ दिनों बाद माइक्रोसॉफ्ट ने हिन्दी विंडोज़ नामक सॉफ्टवेयर लॉन्च किया जो हिन्दी में टाइपिंग आदि के लिए सक्षम था।
3. हिन्दी तकनीक के क्षेत्र में सबसे बड़ा विकास उस समय हुआ, जब भाषा की एक नयी एनकोडिंग प्रणाली विकसित हुई, जिसे यूनिकोड (Unicode) कहते हैं। यूनिकोड का शाब्दिक अर्थ है जिसमें भाषा की कोड की जाने वाली छवियाँ एक जैसी हों, जिसमें एकरूपता हो। अंग्रेजी के प्रभुत्व को तोड़ने और अन्य भाषाओं के महत्त्व के लिए यूनिकोड कोटियम (Unicode Consortium) ने विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं के सभी संकेतों के लिए एक निश्चित कोड अथवा मापदण्ड तैयार कर दिया है। इससे दुनिया की कोई भी प्रसिद्ध भाषा के बीच ऐसा कुछ संयोजन ज़रूर मिलता है जिससे किसी भी फॉण्ट में टाइप की हुई सामग्री किसी भी दूसरे कम्प्यूटर अथवा फॉण्ट में खुल जायेगी। यदि उसे यूनिकोड में टाइप किया गया हो। यूनिकोड प्रणाली मूलतः उन्हीं कम्प्यूटर में सुचारू रूप से चलते हैं जिनकी काम की क्षमता पेंटियम-4 और रैम (RAM) क्षमता कम-से-कम 256 मेगाबाइट की हो। आज माइक्रोसॉफ्ट के लगभग सभी कम्प्यूटरों में यह सुविधा उपलब्ध है चाहे वह माइक्रोसॉफ्ट एक्स.पी. हो अथवा विंडोज विस्टा।
4. तकनीक की दुनिया में हिन्दी की महत्ता उस समय और बढ़ने लगी जब डिजीटल क्रान्ति में हिन्दी के समाचार-पत्रों को ई-समाचार-पत्र में निकालना प्रारम्भ कर दिया। जैसे भास्कर डॉट कॉम, जनसत्ता डॉट कॉम आदि, लेकिन इस दिशा में प्रारम्भिक प्रयास करने का श्रेय मध्य प्रदेश, इन्दौर शहर से निकलने वाले समाचार-पत्र नयी दुनिया को जाता है, जिसने सबसे पहले इंटरनेट की दुनिया का पहला समाचार पत्र वेबदुनिया नाम से प्रारम्भ किया। इसके बाद बलेन्दु शर्मा दाधीच में प्रभासाक्षी डॉट कॉम (Prabhasakshi.com) निकाला। तत्पश्चात् ई-सामाचार-पत्रों की बाढ़ आग गयी।
धीरे-धीरे हिन्दी भाषा का इंटरनेट में इतना उपयोग बढ़ने लगा कि लोग ऑनलाइन पत्रिकाएँ चलाने लगे, जिसमें साहित्यिक कविता, कहानी से लेकर उपन्यास तक सभी प्रकार की सामग्री दी जाने लगी। इस दिशा में सबसे बड़ा प्रयास खाड़ी देश से निकलने वाली दो ऑनलाइन पत्रिकाओं को जाता है। जिनका नाम है अभिव्यक्ति डॉट कॉम और अनुभूति डॉट कॉम। महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा का ऑनलाइन पोर्टल हिन्दीसमय डॉट कॉम (Hindisamay. com) ने भी इस दिशा में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है।
Industry refers to economic activities, which are connected with conversion of resources into useful goods. Industry is concerned with the…
Business refers to any occupation in which people regularly engage in an activity with an objective of earning profit. The…
According to Prof. Samuelson, every economy has three basic problems of resource allocation: (a) What to produce and how much…
The introduction of High Yielding Varieties (HYV) of seeds and the increased use of fertilisers, pesticides and irrigation facilities are…
Yes, we agree with the above statement that the traditional handicrafts industries were ruined under the British rule. The following…
India was under British rule for almost two centuries before attaining Independence in 1947. The main focus of the economic…