शासन का एक ऐसा रूप जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते है लोकतंत्र कहलाता है |
लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं :-
1) उत्तरदायी सरकार:- हमने लीबिया में देखा कि निर्णय की अन्तिम शक्ति सैनिक संगठन के पास थी।
वह जनता द्वारा चुनी हुई नहीं थी। वहाँ की जनता सैनिक संगठन के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य थी।
जबकि सैनिक संगठन किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं था। इनका चुनाव प्रतिनिधिगण करते है।
एक लोकतांत्रिक देश में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि और उनकी प्रतिनिधि सभा सर्वोच्च होती है।
जितनी भी चुनी हुई सरकारें कार्य कर रही होती हैं, वे विभिन्न तरीकों से जनता के प्रति उत्तरदायी होती हैं।
भारत की शासन व्यवस्था पर नज़र डाली जाए तो पता चलता है कि केन्द्र की सरकार व विभिन्न राज्य सरकारें कई तरह से लोगों और उनके प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी होती हैं।
भारत में कार्यपालिका के सभी लोग, जैसे- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रीपरिषदों के मंत्री व उच्च अधिकारी संसद और राज्य विधानमण्डलों (व्यवस्थापिका) के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
इनका चुनाव प्रतिनिधिगण करते हैं।
2) निश्चित अवधि के बाद चुनाव:- सभी सरकारों का चुनाव एक निश्चित समय के लिए किया जाता है।
सरकार सत्ता में पुनः तभी आ सकती है जब जनता उसे पुनः चुने।
चुनाव का समय लोगों के लिए वह समय होता है जब वे लोकतंत्र में अपनी शक्ति का अनुभव करते हैं।
इस तरह निश्चित अवधि के बाद नियमित चुनाव होने पर जनता का सरकार पर नियंत्रण बना रहता है।
यदि जनता जन-प्रतिनिधियों के कार्यों से सन्तुष्ट न हो तो चुनाव के द्वारा सरकार को बदल सकती है।
3) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव:- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए यह आवश्यक है कि ये चुनाव किसी स्वतंत्र संस्था द्वारा करवाए जाएँ तथा विभिन्न राजनैतिक दलों को इनमें बिना किसी पूर्व शर्त के भाग लेने की अनुमति दी जाए।
भारत में चुनाव करवाने के लिए “चुनाव आयोग” नाम की संस्था कार्य करती है।
हमारे संविधान में चुनाव आयोग को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए कई विशेष अधिकार दिए गए हैं।
निष्पक्ष चुनाव के साथ-साथ लोकतंत्र के लिए बहुदलीय प्रतिस्पर्धा की भी आवश्यकता है।
इसी से लोगों को विकल्प मिलते हैं जिनमें से वे चुनाव कर सकते हैं।
4) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise):- हम कहते हैं कि लोकतंत्र जनता का शासन है अर्थात् हमारे देश में सभी वयस्क व्यक्ति – चाहे महिला हो या पुरुष, अमीर हो या गरीब, किसी भी धर्म के अनुयायी हों, चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों उन्हें चुनाव में मतदान का अधिकार है।
यह राजनैतिक समानता है।
प्रत्येक व्यक्ति के वोट का समान महत्व है।
इसमें गरीब हो या अमीर, शिक्षित या अशिक्षित लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति के वोट की समान कीमत है।
5) लोकतंत्र में जनभागीदारी:- लोकतंत्र में शासन के संचालन में जनता की भागीदारी होती है।
कानून बनाने और उनको लागू करने में भी नागरिकों की सक्रिय भागीदारी होती है।
सरकार को जनता से ही समस्याओं एवं आवश्यकताओं की जानकारी मिल सकती है।
योजनाओं के क्रियान्वयन में निरीक्षण, परीक्षण, सुझाव, शिकायत करनी चाहिए।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए नीति–निर्माण से पूर्व जनता में विभिन्न माध्यमों से व्यापक चर्चा होती है।
लोग किसी भी कानून या नीति के विषय में अखबारों में लेख लिखकर, टेलीविज़न एवं इंटरनेट पर होने वाली बहस में भाग लेकर, ज्ञापन देकर, सेमिनारों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों व अन्य कई माध्यमों से अपने विचार रखते हैं।
ऐसी चर्चाओं को संचालित करने के लिए समितियाँ और समूह बनाए जाते हैं। जनता की उदासीनता लोकतंत्र की सबसे बड़ी शत्रु है।
6) कानून का शासन :- कानून का शासन लोकतंत्र की एक सबसे बड़ी विशेषता है।
कानून के शासन से आशय है कि कोई भी सरकार सभी कार्य कानून के अनुसार करे तथा ऐसे कार्य नहीं किए जाएँ जो कानून के अनुसार न हो।
कानून के शासन का यह भी अर्थ है कि देश के सभी नागरिकों पर सारे कानून समान रूप से लागू होंगे।
किसी भी व्यक्ति को कानून से किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगी।
ऐसे बहुत से उदाहरण मिलते हैं जब देश के बड़े अधिकारियों और नेताओं को सामान्य नागरिकों की तरह कानून का पालन करते हुए न्यायालय में जाना पड़ा।
उन्हें आम नागरिकों की तरह ही कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा।
7) कानून का सम्मान:- लोकतंत्र में हम ऐसी संस्थाओं पर निर्भर रहते हैं जो संविधान या निर्धारित कानून के अनुसार कार्य करती हैं।
किसी को भी कोई गैर-कानूनी कार्य करने का अधिकार नहीं है।
इस भावना का सम्मान ही कानून का सम्मान करना है।
एक लोकतांत्रिक सरकार सिर्फ इस कारण से मनमानी नहीं कर सकती कि उसने चुनाव जीता है।
उसे भी कुछ बुनियादी तौर-तरीकों व स्थापित कानूनों का पालन करना होता है।
न्यायालय की स्वतंत्रता का सम्मान करना और उसके आदेशों का पालन करना, शासन और नागरिकों का दायित्व होता है।
8) मानव अधिकार एवं लोकतंत्र:- मानव अधिकार वे आवश्यकताएँ हैं जो किसी व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने तथा जीवन में विकास के लिए ज़रूरी हैं।
इन अधिकारों के बिना लोगों का सम्पूर्ण विकास नहीं हो सकता।
ऐसे अधिकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को प्राप्त होते हैं।
दूसरे अर्थों में यदि लोगों के अपने विचारों को व्यक्त करने, विभिन्न विषयों पर बहस करने, बातचीत करने, संगठन बनाने और अन्य मानव अधिकारों द्वारा ही लोकतंत्र को अधिक-से-अधिक मजबूत बनाया जा सकता है।
9) अल्पसंख्यकों के अधिकार:- अधिकांश देशों में जाति, धर्म-सम्प्रदाय, भाषा, रंग, क्षेत्र, लिंग या राजनैतिक विचार के आधार पर कुछ लोगों की जनसंख्या कम होती है, इन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है। अधिकतर देशों में बहुसंख्यकों का शासन होता है।
परन्तु लोकतंत्र के अर्थ में एकरूपता नहीं है।
लोकतंत्र समाज में तरह-तरह की विविधताओं को स्वीकार करता है।
इसलिए अल्पसंख्यकों के मत या राय का सम्मान करना लोकतांत्रिक मूल्यों का हिस्सा है।
अतः अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा कई अधिकार दिए जाते हैं।
नोट :- वैसे तो अधिकतर परीक्षाओ में दो विशेषताएं पूछा जाता है परन्तु हमने यहाँ पर पांच से अधिक विशेषताएं हमने यहाँ बताएं है |
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