खैरागढ़ विश्वविद्यालय में उपलब्ध पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दुस्तानी व कर्नाटक गायन, वाद्य संगीत, नृत्य (कत्थक, भरतनाट्यम्), चित्रकला, लोक संगीत आदि विधाओं में उपाधि एवं डिप्लोमा के साथ विदेशी छात्रों के लिए भी विशिष्ट पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत अध्ययन व प्रशिक्षण की सुविधा है.
विश्वविद्यालय के मुख्य उद्देश्य हैं-संगीत और ललित कलाओं की हर शाखा के अध्यापन की व्यवस्था करना तथा शोध, संगीत एवं ललित कलाओं के अध्ययन की प्रगति और उनसे सम्बन्धित ज्ञान प्रसार के लिए व्यवस्था करना. विश्वविद्यालय से वर्तमान में कुल 40 संगीत महाविद्यालय सम्बद्ध हैं,
जिनमें 4 क्रमशः 1. श्रीराम संगीत महाविद्यालय (रायपुर), 2. कमला देवी संगीत महाविद्यालय (रायपुर), 3. भारतखंडे संगीत महाविद्यालय (बिलासपुर), 4. शारदा संगीत महाविद्यालय (कवर्धा, राजनांदगाँव) छत्तीसगढ़ में, 30 मध्य प्रदेश में तथा अन्य कलकत्ता (कोलकाता), दिल्ली, वाराणसी एवं अजमेर जैसे शहरों में हैं.
विश्वविद्यालय द्वारा 1978-79 से देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्वाध्यायी परीक्षार्थियों को मान्यता प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिए सुविधा प्रदान की गई है. देश की कुल 18 संस्थाओं को परीक्षा केन्द्र के रूप में अस्थायी मान्यता दी गई है.
इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खेरागढ़ छत्तीसगढ़ में राजनांदगाँव जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर खैरागढ़ में स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, न केवल भारत में वरन् सम्पूर्ण एशिया में अपनी तरह का इकलौता विश्वविद्यालय है जो संगीत एवं ललित कलाओं की शिक्षा के प्रसार हेतु कार्यरत् है.
इस विश्वविद्यालय की स्थापना खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने अपना रिहायशी महल अनुदान के रूप में देकर की. विश्वविद्यालय का नामकरण उनकी संगीत प्रेमी पुत्री इंदिरा के नाम पर रखा गया, जिसका अल्पायु में ही देहान्त हो गया था. विश्वविद्यालय का उद्घाटन 14 अक्टूबर, 1956 को श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था. विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र पूरे देश में फैला हुआ है,
संग्रहालय– विश्वविद्यालय में दो संग्रहालय क्रमशः प्राचीन वस्तुओं, मूर्तियों आदि का एवं प्राचीन संगीत वाद्यों का है. प्राचीन वस्तुओं के संग्रहालय में छत्तीसगढ़ की आंचलिक कला का प्रतिनिधित्व करने वाली करीब एक सौ उत्कृष्ट कलाकृतियाँ हैं, जिनमें कई दुर्लभ हैं.
इसकी स्थापना 1970 में की गई थी. वाद्यों के संग्रहालय में वैदिक काल से लेकर वर्तमान युग तक प्राचीन वाद्यों की प्रतिलिपियाँ हैं. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का अपना एक समृद्ध ग्रन्थालय है. ग्रन्थालय में संग्रहित शोध प्रबन्धों व पाण्डुलिपियों की प्रतिलिपियाँ उपलब्ध हैं. ग्रन्थालय में रिपोग्राफी यूनिट लिस्निंग रूप की भी व्यवस्था है. विश्वविद्यालय में महिला एवं पुरुष छात्रों हेतु पृथक्-पृथक् छात्रावासों की व्यवस्था है.
विदेशी छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है तथा उनकी सुविधाओं हेतु पूर्ण ध्यान दिया जाता है.
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