लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी पर्व को लोकप्रिय बनाया था |
लोकमान्य भारतीय संस्कृति के बहुत बड़े ज्ञाता थे। उन्हें लगा कि वैचारिक क्रांति के बिना भारतीय जनता को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। ‘गणपति उत्सव’ एक ऐसा माध्यम बना, जिसने लोगों को परस्पर मिलने-जुलने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर दिया । उत्सवधर्मी समाज को ध्यान में रखते हुए तिलक ने ‘गणेशोत्सव’ को एक पारिवारिक समारोह से साझे उत्सव में बदल दिया । धार्मिक अनुष्ठान दस दिन के सार्वजनिक उत्सव में बदल गया। सबसे पहले इसे पुणे में मनाया गया।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना तथा भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को विसर्जन की प्रथा बन गई । प्रत्येक मोहल्ले, मंदिर या मंडप में गणेश जी की स्थापना होती । वहाँ उत्सव के प्रत्येक दिन पूजा-अर्चना होती, भजन- कीर्तन होते और साथ ही सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक विषयों पर विचार भी प्रकट किए जाते। मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी दी जाती। सभी कार्यक्रम हिंदी, मराठी व स्थानीय भाषाओं में होते थे, ताकि अंग्रेजों के पिछलग्गू भारतीय भी अपनी भारतीय भाषाओं को जानें, उनका सम्मान करें। मेलों के लिए लोक कलाकार व लोक नर्तक नई रचनाएँ प्रस्तुत करते। इससे मराठी रंगमंच को नया जीवन मिला। कहना न होगा कि नाटकों, प्रहसनों व कविताओं के माध्यम से राष्ट्र – प्रेम की भावनाएँ प्रकट की जाती थीं।
Industry refers to economic activities, which are connected with conversion of resources into useful goods. Industry is concerned with the…
Business refers to any occupation in which people regularly engage in an activity with an objective of earning profit. The…
According to Prof. Samuelson, every economy has three basic problems of resource allocation: (a) What to produce and how much…
The introduction of High Yielding Varieties (HYV) of seeds and the increased use of fertilisers, pesticides and irrigation facilities are…
Yes, we agree with the above statement that the traditional handicrafts industries were ruined under the British rule. The following…
India was under British rule for almost two centuries before attaining Independence in 1947. The main focus of the economic…