जब व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को लिखित भाषा कहते हैं ।
उदाहरण:- पत्र लिखना, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, कहानी, लेख, संस्मरण, कंप्यूटर पर काम करना, ई-मेल, एस० एम० एस० करना आदि ।
भाषा :- ‘भाषा’ शब्द संस्कृत की भाष धातु से बना है, जिसका अर्थ है-बोलना। हम बोलकर और लिखकर अपने मन के भावों को अभिव्यक्त करते हैं और सुनकर व पढ़कर दूसरों के भावों को ग्रहण करते हैं। भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य आपस में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
भाषा के मुख्य तीन प्रकार हैं- 1. मौखिक भाषा, 2. लिखित भाषा तथा, 3. सांकेतिक भाषा।
1. मौखिक भाषा (Oral Language) – जब व्यक्ति अपने विचारों को मुख से बोलकर दूसरों के सामने प्रकट करता है, तो भाषा के इस रूप को मोखिक भाषा कहते हैं। व्यक्ति मोखिक भाषा का प्रयोग सबसे अधिक करता है। मोखिक भाषा का प्रयोग साक्षर और निरक्षर दोनों ही करते हैं अर्थात् मौखिक भाषा का प्रयोग लगभग सभीव्यक्ति करते हैं।
2. लिखित भाषा (Written Language) – जब व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को लिखित भाषा कहते हैं।
भाषा के विकासक्रम में मौखिक रूप के बाद भाषा के लिखित रूप का विकास हुआ। किसी तथ्य या विचार को वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए लिखित भाषा का ही प्रयोग किया जाता हैं।
भाषा के लिखित रूप के द्वारा मनुष्य के विचार भविष्य के लिए भी सुरक्षित रखे जा सकते हैं। युगों पूर्व हुए विद्वानों और महापुरुषों के विचारों को लिखित रूप में पुस्तकों में आज भी पढ़कर जाना जा सकता है। वेद, पुराण, गीता, रामायण, महाभारत आदि इसके प्रमाण हैं।
लिखित भाषा की विशेषताएँ – (1) यह भाषा का स्थायी रूप है।
(2) इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
(3) यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों।
(4) इस रूप की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त (represent) करते हैं।
(5) यह भाषा का गौण रूप है।
3. सांकेतिक भाषा (Code Language) – जब व्यक्ति अपने विचारों को संकेतों के द्वारा प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को सांकेतिक भाषा कहते हैं; जैसे- मूक-बधिर लोग संकेतों (इशारों) और मुख-भंगिमाओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हैं; तथा सड़क पर यातायात पुलिसकर्मी हाथ के इशारे से लोगों को रुकने या जाने के लिए कहता है।
विश्व में अनेक भाषाएँ बोली व समझी जाती हैं; जैसे- हिंदी, रूसी, फ्रेंच, अँगरेज़ी, चीनी, जापानी आदि।
भारत में भी अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है। ये हैं- असमिया, गुजराती, बँगला, उर्दू, कन्नड़, ओडिया, कश्मीरी, कोंकणी, डोगरी, तमिल, तेलुगु, नेपाली, पंजाबी, बोडो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी, हिंदी ।