महाकाव्य किसे कहते हैं:-
श्रव्य काव्यान्तर्गत ऐसे दीर्घ प्रबंध को महाकाव्य कहते हैं जिसमें उत्कृष्ट गुण-सम्पन्न किसी नायक के घटना प्रधान अखण्ड जीवन चरित का विस्तृत वर्णन होता है |
महाकाव्य में जीवन या घटना विशेष का सांगोपांग चित्रण होता है। वृहद् काव्य होने के कारण ही इसे महाकाव्य कहा जाता है।
काव्यादर्श (दण्डी) और काव्यालंकार (रुद्रट) द्वारा वर्णित महाकाव्य के मुख्य लक्षण हैं :-
(1) नायक कोई देवता, कुलीन नरेश या कोई अन्य उत्तम गुण सम्पन्न व्यक्ति हो ।
(2) कथानक इतिहास या लोक में प्रसिद्ध हो ।
(3) वीर, श्रृंगार या शान्त मुख्य तथा अन्य रस गौण हों ।
(4) मध्यम आकार के आठ से अधिक सर्ग हों, एक सर्ग एक ही छन्द में रचित हो किन्तु सर्गान्त में भिन्न छन्द का घत्ता हो और अगले कथानक का संकेत हो ।
(5) सौन्दर्य वृद्धि के लिए प्रसंगानुसार प्राकृतिक दृश्यों और युद्ध आदि विषयों का वर्णन हो।
(6) अन्याय-अधर्म का नाश तथा न्याय-धर्म की विजय दिखलाना मुख्य कल्याणकारी उद्देश्य हो ।
दो प्रमुख महाकाव्यों एवं रचनाकारों के नाम :-
1. रामचरित मानस – तुलसीदास
2. कामायनी – जयशंकर प्रसाद।
3. बुद्धचरित – अश्वघोष
4. कुमारसंभव – कालिदास
5. रघुवंश – कालिदास
6. किरातार्जुनीयम् – भारवि
7. शिशुपाल वध – माघ
8. नैषधीय चरित – श्रीहर्ष