आदर्शक अर्थशास्त्र किसे कहते हैं

अर्थशास्त्र  जिसमें आर्थिक पहलुओं की अच्छाई एवं बुराई के सम्बन्ध में विश्लेषण किया जाता है और तथ्य की वांछनीयता एवं अवांछनीयता पर अपना मत व्यक्त किया जाता है। आदर्शक अर्थशास्त्र कहते हैं

आधुनिक अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा वर्ग यह स्वीकार करता है कि अर्थशास्त्र केवल एक वास्तविक विज्ञान ही नहीं बल्कि उसका स्वरूप आदर्शात्मक (Normative) है। इस वर्ग के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अर्थशास्त्रियों के दायित्व का निर्वाह केवल इतनी विवेचना से ही नहीं हो जाता कि विषय-वस्तु ‘क्या है’ बल्कि उनका यह भी उत्तरदायित्व है कि वे बतलाएँ कि विषय-वस्तु ‘क्या होनी चाहिए’? अर्थशास्त्र को आदर्शात्मक विज्ञान में रखने वाले अर्थशास्त्रियों में प्रमुख हैं-मार्शल, पीगू, हाटे, कीन्स आदि।

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